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Alumni

Amanat khan

General Secretary (2018-2019)

हमने अपने मुहल्ले वालों से एक बात सीखी थी कि अगर कोई पौधा खिल नहीं रहा है तो उसके बगल में एक और पौधा लगा देने से दोनों साथ साथ बढ़ जाएंगे यही खूबी हम इंसानों के हुनर में भी होती है ।

मिसाल के तौर पे यूँ देख लें कि शेर ओ शायरी के हुनर में जब हम कहीं आगे बढ़ने के क़ाबिल ना थे तभी कलमकार अंजुमन ने हमारे इर्द गिर्द अदब से ताल्लुक़ रखने वाले कई शख्सों को लाकर खड़ा कर दिया और वहीं से हम उस मुआशरे में ख़ुद को ढालते हुए आगे चलने लगे । ये पहला साल था दिल्ली शहर में जब कलमकार और उससे जुड़े लोगों ने हमें अपना बना लिया और हमने भी कलमकार को अपना लिया फिर दोनों एक दूसरे की ख़िदमत में लग गए कभी हमने अपनी मेहनत और हुनर की बदौलत कलमकार का नाम बड़ा करने की
कोशिश की तो कभी कलमकार ने हमें मंच देकर हमारे हुनर को इज्जत बख़्शी और ऐसे ही ये सिलसिला तीन साल तक चलता रहा ।

यक़ीनन कलमकार ने हमें इस लायक बना दिया कि हम अदबी हलके में कम अस कम अच्छा सुनने और पढ़ने वालों के बीच अपना नाम दर्ज कर सकते हैं ।

फ़ाजिल अंसारी साहब की ग़ज़ल का ये मतला हमारी बात को बयां कर देगा -

"अदीब था न मैं कोई सहाफी था
जमाना फिर भी मेरे फ़न का ए'तिराफी था"

Abhilasha

English Head(2018-19)

Kalamkaar is more than family. It is home where one can nurture oneself and bring out the best in them. I feel blessed to be part of Kalamkaar.
Love to my juniors who are working hard for better of Kalamkaar.
We don’t lose people through demise.
It is when we lose ,
When the tenderness and sentiments are gone.
The person is gone.

जुगल किशोर

भूतपूर्व उपाध्यक्ष (2018-19)

एक लफ्ज़ के माने क्या-क्या हो सकते हैं
सुकूं, मोहब्बत, आदत या दुनिया हो सकते हैं

खुशी और चेहरे की मुस्कुराहट के पीछे जो भी अनुभूतियां होती हैं खुशकिस्मती से मेरे लिए वह एक शब्द मात्र में समाहित हो के सामने आई... वह शब्द है कलमकार!

कलमकार जो कि रोज कॉलेज आने की वजह बना, कलमकार जिसने एक अनजान शहर में बाहें फैलाकर संभाले रखा, कलमकार जिसने घर से मीलों दूर एक और घर दिया।

ये कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मेरे कॉलेज लाइफ का मतलब ही कलमकार रहा है। कक्षा में नाम पुकारे जाने पर आखरी बेंच में सर छुपाने की कोशिश करने वाला लड़का, सैकड़ों की भीड़ के आगे अपने दिल की बात बिना हिचके कहने लगा तो उस बेमिसाल सफर में संबल प्रदान करने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ कलमकार को जाता है।

कहते हैं ना कि एक शायर या एक लेखक साधारण से साधारण चीज को भी अपनी कल्पना शक्ति से असाधारण बना सकता है। पर जिस विषय पर हमारे पास बहुत ज्यादा यादें हैं और कहने को बहुत कुछ है पर जब समेटने की बारी आती है तो कुछ ना कुछ छूट ही जाता है। मेरे लिए कलमकार वही शब्द, वही विषय है जिसे बहुत बहुत कम समय और बहुत कम शब्दों में बताना संभव ही नहीं है।

मैंने कलमकार रूपी वृक्ष को शैशव काल में ही देखा है, और अपनी भरपूर ऊर्जा से उसे सींचने का भी प्रयास निरंतर किया है। अब वह वृक्ष बनने की दिशा में अग्रसर है। इस यात्रा का एक-एक क्षण बहुत खास रहा है। उम्मीद करता हूं कलमकार यूं ही चहुँओर अपनी कीर्ति पताका फहराये।

कलमकार की सेवा में सदैव तत्पर

भारती शर्मा

Hindi Head (2018-2019)

कलमकार मेरे लिये भावनाओं का अनुठा संगम हैं अतः मेरे जीवन में कलमकार के योगदान को शब्दों में बांधना संभव नहीं है । कलमकार परिवार की नींव है उसकी एकजुटता अौर वह विश्वास जिसके कारण कलमकार कलमकार बना । आशा करती हूँ की ये एकता यूँही बनी रहेगी।

Sneha Arora

Former President (2018-19)
Joint Secretary (2017-18)

The toughest thing I experienced in my 3 years journey of Kalamkaar was one question.
Describe Kalamkaar.
Even after three years today, all I know is it was never Kalamkaar in college for me, it has always been, for me, college in my Kalamkaar.

We dont make colleagues or friends here, we become a family.
This place makes you bloom like a flower and prepares you to become a tree, which by spreading its branches help others, nourish others.
Love and literature are the essence of Kalamkaar and I hope it stays the same in all the upcoming generation of our ever growing family.

Hind Salaam, Kalam Pranaam

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